पाठ-9,राजस्थानी में भणाई जरूरी
[] ओम पुरोहित 'कागद'राजस्थानी भाषा में 73 बोल्यां है तो इण में अपरोगो कांईं है-आ तो ईण री जगचावी खासीयत है-त्यागत है ! दुनियां री कुणसी भाषा में बोल्यां नीं ? संविधान री आठवीं अनुसूची में भेळीजी थकी भारत री 22 भाषावां में भी 6 सूं लेय’र 65 तक बोल्यां है । गुजराती-27, तमिल-22 , मरठी-65 , बंगाले- 15, पंजाबी- 29, कोंकणीं- 16, उडि़या-24 , नेपाली-06 , मलयालम-14 , कन्नड़-32 , तेलगु- 36, अंग्रेजी- 57, अर हिन्दी में 43 - बोल्यां है । पण "ठाडै रो डोको डांग नै पाडै़" जीडी़ ई बात---ऐ सगळी भाषावां ठरकै सूं आठवीं अनुसूची में भी सामल है ,राज्यां री दूजी भाषावां अनै राजभाषावां भी है ! इण में सूं कई भाषावां री तो खुद री लिपि भी नीं है ! जद आं सगळी भाषावां रै ऐक भाषा होवण में फ़रक नीं तो फ़गत अर फ़गत राजस्थानी भाषा अनै राजस्थान्यां सारू फ़रक क्यूं ? ऐक ई देश में कोई चीज तय करण रा न्यारा-न्यारा मानदंड क्यूं ?
भाषा री एकरूपता री बात अनै चिन्ता सगळी दुनियां री भाषावां में रै’वै ! इण सारू दुनियां रा सगळा देश आप - आपरै अठै भाषा विभाग चलावै जको बगत-बगत माथै नया बदळाव करै अर राज रा फ़रमान काढ’र उणां नै बपरावण री हिदायत देंवता रै’वै ! हिन्दी भी जकी आज है बा सन 1905 में नीं ही ! हिन्दी में भी लगोलग कई बरसां सूं एकरूपता पैटै बदळाव होय रै’या है ! भाषा विभाग अर गृह विभाग बदळाव अनै एकरूपता सारू परिपत्र जारी करता रै’वै ! जिण भांत 1905 सूं आज तांई हिन्दी री एकरूपता सारू सरकारी स्तर माथै काम होयो उणीज भांत जे सरकार राजस्थानी सारू फ़गत एक ई साल काम कर देवंती तो ओ एकरूपता आळो आंटो अनै टंटो कद रो ई मिट जावंतो ! पण सरकार राजस्थानी रो कदै ई भलो नीं सोच्यो ! चावै सरकार होवै ,चावै ब्यूरोक्रेट अर चावै शिक्षाविद होवै , सगळां ई राजस्थानी नै तो हरमेस मेटण री ई खेचळ करी ! आप राजस्थानी री एकरूपता री बात करो--राजस्थानी तो बापडी़ हरमेस आपरी ज्यान बचावण में लाग्योडी़ ई रै’ई !
सरकार इत्तो कै’र किन्नो काट्टै कै - " राजस्थानी संविधान की आठवीं अनुसूची में नहीं है इस लिए हम कुछ नहीं कर सकते !’ अब आप हिन्दी रै बिगसाव-पसराव अनै एकरूपता री कहाणी जाणों-14 सितम्बर 1949 नै भारत री संविधान सभा हिन्दी नै राजभाषा बणावण री घोषणा करी करी अर संविधान री धारा 351 में ओ स्पष्ट करियो कै हिन्दी आपरी शब्दावली प्रमुखत: संस्कृत सूं लेसी पण गौणत: दूजी भारतीय भाषावां सूं भी लेयसी । पछै 1955 में रघुवीर जी रो पै’लो हिन्दी शब्दकोश आयो । हिन्दी निदेशालय 1960 में, वैज्ञानिक एवम्पारिभाषिक शब्दावली आयोग 1960 अर 61 में ,राजभाषाई विधाई आयोग 1961 में , राजभाषा अधिनियम 1963 में , राजभाषा नियम 1976 में बण्या । नागरी प्रचारिणी सभा भी 1947 , 1953 , 1957 अर 1962 में हिन्दी री एकरूपता अर मानकीकरण री ज़बरी खेचळ करी । राजस्थान विधानसभा 1956 में राजभाषा अधिनियम बणायो । बस अठै सूं ई राजस्थान में हिन्दी थोंपीजगी ! राजस्थान में 1965 में भाषा विभाग बणायो अर उण रै जिम्मे राजस्थान में हिन्दी रै बिगसाव-पसराव रो काम राख्यो ! राजस्थान रो बजट पै’ली बार 1977 सूं हिन्दी में बणावणो सरू करीज्यो ।
राजस्थान रै भाषा विभाग राजस्थान में हिन्दी रै बिगसाव-पसराव रो काम जोरदार ढंग सूं करियो । हिन्दी रो जम’र प्रचार करियो । हिन्दी रै पख में पोस्टर छपवाया-बंटवाया-चिपवाया । स्कूलां में हिन्दी भाषण-कविता री प्रतियोगितावां करवाई । सरकारी आदेशां-परिपत्रां रा हिन्दी अनुवाद करवाय । दफ़्तरा-स्कूलां में हिन्दी रा टाईपराइटर बंटवाया । हिन्दी में दस्कत करण-करावण री मुहिम चलाई । राज रा विज्ञापन , प्रमाण-पत्र ,नियुक्ति आदेश , पदौन्ति आदेश गजट , वित्तीय स्वीकृत्यां , बैठकां रा कार्यवृत , आवेदन , अर चिट्ठी -पतरी हिन्दी में लाज्मी करीज्या । पै’ली सूं लेय’र अठवीं तांईं री भणाई भी भाषा विभाग ई हिन्दी में सरू करवाई । इत्ती खेचळ रै बाद कठै ई लारला 64 सालां में जाय’र राजस्थानी नै मार’र उण री लास माथै राजस्थान में हिन्दी खडी़ होई । इत्ती खेचळ रै बाद जाय’र हिन्दी रै मानकीकरण अनै एकरूपता रा काम कीं होया पण हाल भोत कीं बाकी है । इण मैणत रो दसवों हिस्सो ई जे राजस्थानी सारू करीज जावै तो पछै देखो थे राजस्थानी भाषा रा ठाट ! राजस्थानी भाषा में मानकीकरण अनै एकरूपता रा मसला तो तुरता-फ़ुरती में जडा़मूळ सूं ई निवड़ जावै ।
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[] ओम पुरोहित 'कागद'
24 -दुर्गा कोलोनी
हनुमानगढ़ संगम - 335512 [ राजस्थान ]
खूंजे रो खुणखुणियों - 09414380571
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