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मंगलवार, 22 नवंबर 2011

पाठ-5, राजस्थानी भाषा री बोल्यां रा ठिकाणां

पाठ-5, राजस्थानी भाषा री बोल्यां रा ठिकाणां 
                                    [] ओम पुरोहित 'कागद'
               आप जाणों हो कै राजस्थानी भाषा में 73 बोल्यां है । ऐ बोल्यां राजस्थान रै अलावा देश अर विदेश में भी बोलीजै । आं  73  बोल्यां  में सूं मोटा-मोट 11 बोल्यां जादा अर बडै छेतर में बोलीजै । आओ आपां राजस्थानी भाषा री आं बोल्यां अर उण रा छेतरां नै भी जाणां -गोखां कै किसी बोली कठै - कठै बोलीजै :-

राजस्थानी भाषा री... मोटी-मोटी बोल्यां
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1-मारवाडी
2-शेखावाटी
3-बागडी
4-वागडी
5-मेवाती
6-हाडोती
7-ढुंढाडी
8-मेवाडी
9-भीली
10-पहाडी़
11-खानाबदोसी

आं बोल्यां री भोत सारी उप  बोल्यां भी है । जकी कोस - कोस माथै खिंड्योडी़ है ।

आओ जाणां आं बोल्यां रा ठोड़-ठिकाणां
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1-मारवाडी-
आ बोली वैदिक छेतर "मरुधन्व " जको महाभारत बगत में "मरुकान्तर" राज बोलीजती । ओ सारो छेतर समुन्दर रै नीचळी रेणका अर डूंगरां री बेकळा सूं ढकीज्योडो़ हो यानी रेत रो समन्दर ! यानी मरुथळ/मरुधस्थल/मरुधरा । राजस्थान रो आथूणलो पास्सो [ पश्चिमी ]  "मरुधन्व " अर "मरुकान्तर" हो । ईं छेतर री भाषा  यानी मरुस्थल री भाषा । रिगवेद में भी ओ मरु  छेतर ई बतायोडो़ है सो ईं छेत्र री भाषा मरुभाषा\मरुवाणी अर आज री मारवाडी़ है ।
मारवाडी़ राजस्थान री ई नीं दुनियां री जूनी बोल्यां में सूं एक है । इण में भाषा रा सगळा गुण मौजूद है । साहित्य,व्याकरण,सबद कोश,छन्द सास्तर,रस सास्तर आद सो क्यूं इण भाषा रै आंटै में है । राजस्थानी भाषा रो घणखरो साहित्य इणीज भाषा में रचीज्योडो़ थको है । आज री गुजराती इणीज भाषा सूं उपज्योडी़ एक रूप है । मारवाडी़ आज भी पाकिस्तान रै एक बडै हिस्सै [ सिंध सूं लेय’र पंजाब री सींवां ताईं ]  में बोलीजै । पाकिस्तान रा
गजराबाद,अमरकोट,कराची,गूजरांवाला,खेमकरण,सिंध,हैदराबाद रै इलाकां में  आज भी ब्यांव-रीत-नीत-पैरवास मारवाडी़ चालै । इण समूळै इलाकै में आज भी मारवाडी़ लोक गीत गूंजता रैवै । मारवाडी़ ओडियो-वीडियो कैसटां/सीड्यां खूब बणै अर बिकै । चावा लोक गीतां में मूमल,मरवण,जलालो,मटयारो, सावणीं तीज,चनेसर, करहो, पटयारी, पणिहारी,आमरलो,रायधण,घोंसलो,राणों काच्छबो, आद है ।
                  पाकिस्तान में "अंजुमन मारवाडी सोअरा " नांव री संस्था है जकी लगोलग राजस्थानी कवि सम्मेलन करावै । बाग अली सोक जैसलमेरी , यार मोहम्मद चौहान’ताहिर’ ,हम्मीद जैसलमेरी ,मोहम्मद रमजान ’नसीर ’ ,मास्टर अब्दुल" हम्मीद" जैसलमेरी, औरंगजेब जिया,असरफ़ अली "अफ़सोस" , कुरबान अली चौहान, महमूद दार "कश्मीरी", युनुस नीर,युनुस राही,लियाकत अली "दीपक" , अब्दुल मज़ीद"चिणगारी",बशीर अहमद "बशीर", मोहम्मद हनीफ़"काळू" ,सरदार अली चौहान फ़ारुक आज़म "फ़रीद", रज़ब अली"गम" अर फ़िरोज़ अली "फ़िरोज़" अठै रा नामी राजस्थानी साहित्यकार है ।
                   आज रै राजस्थान में जोधपुर ,बीकानेर ,जैसलमेर , बाड़मेर ] पाली,सिरोही ,नागौर, हनुमानगढ़, श्री गंगानगर जिलां में  सै्कडै़ दीठ सैंकडै़ अर चुरू,झुंझुनू,सीकर अर अजमेर ज़िलां  में रिपियै में बारै आन्ना  मारवाडी बोली ई बोलीजै । राजस्थान रै श्री गंगानगर,हनुमानगढ ज़िला अर पंजाब रा अबोहर फ़ाजिल्का हरियाणां रै सिरसा , हिसार छेतर में जकी बागडी़ बोली है बा मारवाडी़ सूं ई उपजी थकी है । इं बोली में का की को री जाग्यां करता रै सागै ई णीं,णां णों लगाई जै--म्हाणों, थांणों.उणां

2-शेखावाटी-
शेखावत राजवंश रा संस्थपक राव शेखा जी रो समूळो राज छेतर शेखावाटी बजै ।इण छेतर में बोलीजण आळी बोली शेखावाटी बजै । शेखावाटी बोली रो जलम मारवाडी़ अर ढुंढाडी़ रै मेळ सूं होयो थको है । आ घणीं जूनी भाषा नी है । इण बोली रो छेतर सीकर , चुरू [कीं चेतर ] , झुन्झुनू ज़िलां में है । इण बोली में का,की,को नै रा ,री,रो अर है नै सै , से नै सैं बोलै

3-बागडी=
बागडी़ रो मतलब बागड़ में रैवण आळा लोग  । बागडीं ई आं री बोली । बागड़ रो मतलब जंगळ ! राजस्थान रा हनुमानगढ़ अर श्री गंगा नगर जिलां सूं लेय’र पंजाब रा अबोहर-फ़ाजिल्का - भटिण्डा छेतर अनै हरियाणां रा  हिसार अर सिरसा छेतर में कदै ई "लक्खी वन" नांव रो लूंठो जंगळ हो । जंगळ पार उतराधै रा लोग अठै  रा लोगां नै बागडी़ [जंगळी ]अर आं री बोली नै बागडी़ [जंगळी] कैंवंता । धीरै धीरै ओ नांव पकग्यो ! आज भी अठै रै सिक्खां नै उतराधै रा लोग बागडी़ सिख अर बाणियां नै जंगळी बाणियां कैवै । रिगवेद री बगत अर महाभारत री बगत भी ओ छेतर नामी हो । उण बगत हरियाणै आळो पास्सो "कुरू-जांगळ" अर ईनलो पास्सो " मरु-जांगळ" बजतो । इणीज छेतर में जोधपुर रा राजकुंवर बीका जी आप रो राज थरपियो । बीकानेर राज रो परतीक वाक्य भी " जय जंगळधर पातसा " है " इण छेतर रो चावो लोक गीत है " जंगळ मंगळ देस म्हानै प्यारो लागै सा ।" ईन बोली में का , की को नै गा , गी , गो बोलै ।

4-वागडी=
राजस्थान अर गुजरात री सींवां जोड़ता राजस्थान रा बांसवाडा़ अर डूंगरपुर जिला वागडी़ रा जूना ठिकाणां है । वागडी़ बोली मारवाडी़ अर गुजराती री भेलप सूं उपजी थकी है । ईं बोली में का,की ,को नै ना नी नूं  अर ह अनै च नै स बोलै ।  इण बोली माथै गुजराती रो खासा असर है !


5-मेवाती=
मेवाती राजस्थानी री खास बोली है ! आ मेव अर गुर्जर लोगां री बोली है जका कदै ई कश्मीर,हिमाचल,पंजाब,राजस्थान,गुजरात,सिंध समेत समूळै उत्तरी भारत माथै राज करता । आ बोली कोई बगत महाराष्ट्र.गोआ.पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान अर रूस तांईं रा पसुपालक वर्ग री बोली ही अर बै गुर्जर ई हा ! राजपूत अर जाट जेडा़ छत्री ईणीं मे सूं फ़ंट्या बताईजै ।
आ बोली आगूणैं [ पूर्वी] राजस्थान रै अलवर जिलै अर राजस्थान रै लागती हरियाणां अनै दिल्ली री सींवां आळा छेतरां में बोलीजै । गूजरी इण रो एक भेद है। आ मेव लोगां री मूळ बोली है । दुनियांमें जठै भी मेव रैवै चाहे पछै बै मुसळमान [ धरम बदळ ] हिन्दू या  और कोई धरम रा होवै बै मेवाती बोली ई बोलै । जका गुजरमध्यकाल में मुसळमान बण्या बै आज मेव मुसळमान बजै ।
डा.सुनीति कुमार चटर्जी कथै "कसमीर री गूजरी बोली अर तमिलनाडू री सौराश्ट्री बोली राजस्थानी री ई एक बोली है ।" डा.देव कोठारी आगै बधता कथै-"हिमालय री तराई, कसमीर अर पंजाब में बसियोडा़ गुर्जर -अहीरां री बोली गूजरी-राजस्थानी री ई बोली है । डा.शक्ति कुमार शर्मा कथै-" रिगवेद में बखाणीजै जको ,गुजरकरण नांव रो  राजा हो बो इणीं छेतर रो राजा हो । बण इण छेतर रै पुष्कर में लूंठो जिग करवायो हो ।" डा. जोर्ज ग्रियर्सन कथै-" राजपूत जात्यांगुर्जरां सूं उपजी । गुर्जरां रो खिंडाव आबू परबत सूं होयो हो । अठै ई बां नै छेतर अर राज बंट्या । गुर्जर जोधा ई राज्य पुत्तर- राज पुत्तर- राजपूत कथीज्या ।" इण छेतर रा बिरामण गुर्जर बिरामण [ गुर्जर गोड़] गुर्जर प्रतिहार, गुर्जर पोरवाळ अर अर इंदा आद नामी है । गुर्जरां री उपसाख "सपादलख"बजै  । योगराज थानी कथै-" हरियाणवी बोली , पंजाबी,हिमाचली, अर कसमीरी री बजाय राजस्थानी रै सांकडै़ बेस्सी है ।"

6-हाडोती=
हाडा़ राजवंश रै राजावां रो राज छेतर हाडौ़ती छेतर अर इण छेतर री बोली हाडौती कथीजै । हाडौ़ती बोली राजस्थानी री दूसरी लूंठी अनै जूनी बोली है जिण में भाषा होवण रा सगळा लखण है । हाडौ़ती में अपार लोक साहित्य,लोक गीत,कोथ-कैबा,रासा,पड़-पवाडा़ आद मौजूद है ।
इण भाषा में अणथाग जूनों अर नूओं साहित्य, व्याकरण,सबद कोश,छन्द सास्तर,रस सास्तर आद सो क्यूं  आंटै में है । कोटा,बूंदी,बारां,झाल्लावाड़ जिला समूळा अर कीं हिस्सो सवाई माधोपुर रो हाडौ़ती रा ठिकाणां है ।

7-ढुंढाडी़ =
ढुंढाड़ छेतर राजस्थान रो ई नी देस रो नामी छेतर है । ओ बो छेतर है जठै पांदव "अग्यातवास " पूरो करयो । अठै रो लोहागर जी [ लोहार्गल ] तीरथ  बा जाग्यां है जठै पांडवां रो सराप पूरो होवण री परख होवै । पांडवां नै वरदान हो कै जकै दिन थारा हथियार पाणीं में गळ जासी उण दिन आपरो 14 साल रो बनवास पूरो हो जासी । पांदवां रा हथियार इणीं लोहागर जी रै तळाब में गळ्या । भीम रो ब्यांव भी इणीं इलाकै में होयो । बर्बरीक री नस किरसन जी अठै ई काटी । इण इलाकै में महाभारत काळ रा कई ऐनाण है । ओ छेतर आडावळ परबत माळा रो छेहलो छेतर है । अठै सूं डूंगर निवडै़ अर मरुथळ सरू होवै । इण इलाकै में मोटा-मोटा माटी रा डूंगर है जकां नै ढूंढ  कैवै ! नांव पड़्यो ढूंढ / ढुंढाड़ । अठै रा लोग ढुंढाडी़ अर आं री बोली भी ढूंढाडी़ । छेतर ई जद इत्तो जूनो है तो बोली तो आपै ई जूनी होयगी । ढुंढाडी़ में भी अपारार जूनों साहित्य रचीज्यो । ढुंढा़डी़ बोली रा ठिकाणां है-जयपुर,दौसा,टोंक  समूळा अनै सवाई माधोपुर अर सीकर  रा कीं इलाका । अठै है,हा, ही री जाग्यां छै,छा.छी बोलीजै ।


8-मेवाडी=
आ बोली मेवाड़ धरा माथै बोलीजै ! मेवाडी़ राजस्थानी री ठरकै आळी बोली है । ईण बोली में भी अकूत राजस्थानी साहित्य रचीज्यो थको है । मेवाड़ धरा राजस्थानी संस्कृति-कळा रो  गढ़ है ! आखै  भारत नै वीरता-बळिदान-त्याग-स्वराज आज़ादी रो पाठ सिखावण आळी इण धरा री परापर राजास्थान अर राजस्थानी भाषा री धरोहर है । उदयपुर , चित्तोड़गढ़, प्रतापगढ़, राजनगर, भीलवाडा़ , ज़िला समूळ अर कीं हिस्सो अजमेर रो मेवाडी़ बोली रा ठावा ठिकाणां है ।

9-भीली=
भीली बोली राजस्थान रै दिखणाद [ दक्षिण ] में बोलीजै । सोभा लाल पाठक रै मुजब-" मेवाड़ अर वागड़ रो हिस्सो, हाडौ़ती रो कीं हिस्सो , आथूणों मध्यप्रदेस [पश्चिमी]  रा झबुआ,रतलाम, धार,खरगोन , अर गुजरात रा  पंचमहल ,भरूच,गोधरा,बडौ़दा आद जिलां भीली बोली रा छेतर है । जोधसिंह कथै- " भीली बोली राजस्थानी अर गुजराती सूं मिलै । डा.ग्रियर्सन कथै भीली राजस्थानी अर गुजराती री कडी़ है । प्रो.सुनीति कुमार चटर्जी कथै-" व्याकरण री दीठ सूं भीली नै राजस्थानी भाषा में राखणी चाईजै ।" राजस्थानी भाषा रो असर मराठी अर कोंकणी माथै भी मिलै । राजस्थान रो " गवरी निरत " राजस्थान ,गुजरात , मध्य प्रदेस अर महाराष्ट्र में इकसार चावो है !

10-पहाडी़=
पहाडी़ बोली हिमालय री समूळी तराई में बोलीजै । उत्तराखंड,हिमाचल, कसमीर अर नेपाल ईं रा ठिकाणां है । डा.देव कोठारी  अर डा. जीवण खरकवाल कथै-"
नेपाल, गढ़वाल, कुमाऊ,अल्मोडा,सिमला, पिथोरागढ़ ,पोडी़ ,चमोली ,देहरादून  छेतर में  नाथ जाति रा  लोग जकी पहाडी़ बोली बोलै उण में राजस्थानी रो पुट है । गोरखा अर गुर्जर एक ई है ।परबतिया , गोरखा्ली , खस अर राजस्थानी भाषा री भेळप सूं ई राजस्थानी बणीं ।"

11-खानाबदोसी=
आ बोली राजस्थान रा खानाबदोस/यायावर लोग जका बिणज-बोपार सारू मुसाफ़री करता अर पछै बाअंडै ई बसग्या -बां री बोली है । खानाबदोस लोगां री "लाभाणीं " बोली बरार,मुम्बई, मध्यप्रांत, पंजाब , उत्तरप्रदेस आद  में बोलीजै । "रोमा" बोली  रोमां लोगां [ जिप्सी ] री बोली है जकी नै राजस्थान सूं गयोडा़ बिणजारा बोलै । आ बोली योरोप री न्यारी-न्यारी बसत्यां में बोलीजै । ईण बोली मे 100  में सूं 40 सबद राजस्थानी रा अर   60 ग्रीस ,फ़्रैंच , अर दूजी य्रोपीय भाषावां रा है  पण व्याकरण राजस्थानी ई है । डा. ब्रज मोहन जावलिया " रोमां बोली " रो सबद कोश त्यार करियो है जको राजस्थानी रो रूप है । ऐ रोमां लोग रूस ,चैकोस्लवाकिया ,चेचैन्यां , स्केण्डिनेविया ,जरमनी , फ़्रांस ,स्पेन ,अमेरिका  आद देसां में  बसै अर राजस्थानी बोलै । ताजुबेकिस्तान री भाषा तो पोरी तरिया राजस्थानी ई है । बठै री भाषा री एक बानगी देखो देखाण-" एक राजो थो । बीं कै दो राणियां थी ।

=====राजस्थानी री कीं और बोल्यां =======

"पिंडारी ",  [मुम्बई, अर मध्यभारत ] , " भाम्टी " [मध्यभारत ] ,"बेलदारी" [ राजस्थान -महाराष्ट्र ] ,ओड़की [राजस्थान ,पंजाब ,म्द्रास, गुजरात ,सिंध ,उत्तराखंद ,] ," लाडी " [ महाराष्ट्र, बरार ] , " गंवारिया" या " कंकेरी " [ उत्तर प्रदेस रो झांसी ,, अजमेर ] , "सांसी " [ राजस्थान , पंजाब ,, पाकिस्तान ] "गारोडी़ " [ बेलगांव ] , "म्यानवाळा "[ बेलगांव ]  . " कंजरी" ," नटी," , " डोम"  , " थळी " [सुजानगढ-रतनगढ {चूरू }], " बीकानेरी "[ बीकानेर ], "मगरेची" [ कोलायत ], " भंडाणीं"  [ लूणकरण्सर-काळू-महाजन ]" खेराडी़ ", " गोडवाडी़" , "देवडा़वाडी़ " , "अहीरवाटी", " तोरावाटी" , "जयपुरी " , " कठेडी़" , "राजावाटी" , "अजमेरी" ," किशनगढी़"[ अजमेर] ," शाहपुरी" [ भीलवाडा़],  "रांगडी़" , " सोडवाडी़" , "निमाडी़" , "पस्तो" [पाकिस्तान-अफ़गानिस्तान], " , "रोमां’ , "बिणजारी" ,"लभाणीं" , "टमटा" , "गूजरी ," सौराष्ट्री" अर हरियाणवी आद  भी राजस्थानी री बोल्यां है ।

 [] ओम पुरोहित 'कागद'
    24 -दुर्गा कोलोनी
   हनुमानगढ़ संगम - 335512 [ राजस्थान ]
  खूंजे रो खुणखुणियों - 09414380571

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