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मंगलवार, 22 नवंबर 2011

पाठ-12, राजस्थानी आखरमाळा री मुहाळणीं
                                            [] ओम पुरोहित 'कागद'
 
राजस्थान री जूनी पोसाळां में "कक्कै" री सांगोपंग भणाई होवंती । कक्कियै री भणाई री निरवाळी रीत ही जकी किणीं दूजी भाषा मे नीं ही  । एक - एक आखर  [ बिलाठी-कक्कियो ] रा चितराम कोरती  मुहाळणीं / मुहारणीं गाईजती जाकी  टाबरां ने आखी जूण चेते रेवती | हिन्दी तो हाल ताईं ऐडो नीं करवा सकी । आ भणाई संगीत , बिलाठी  अनै कक्कियै नै... भेळ’र कराईजती ही । आ "मुहाळणी" का "मुहारणीं" कथीजतो । जूना मारजा आज सूं 65 बरस पै’ली ताईं पोसाळां में मुहाळणी बोलावंता । मुहाळणी गाईजती अर सगळी भणाई मुखजबानी [ कंठै ] ई हो जावंती । इण भणाई नै "गुणी" कैवंता । गुणी में बिलाठी , कक्को , हिसाब-किताब अर पावडा बोलीजता । मारजा आगै -आगै बोलता अर लारै-लारै भणेसरी बोलता  अनै राग टेरता । इण रीत सूं समूळी भणाई कंठै हो जावंती । सीख देवण आळी बातां अर बोवार में काम आवण वाळी बातां इण मुहाळणीं अर गुणीं में सिखाईजती जकी आखी जूण काम आवंती ।

[]  मुहाळणीं/मुहारणीं=मुंडै सूं बोलीजण आळी।
[]  गुणीं= गुणणीं
[]  भणाई=पढाई
[]  पोसाळ में भणावण री विद = पै’ली मुहाळणीं / मुहारणीं, पछै भणाई अर छेकड में गुणीं

राजस्थानी आखरमाळा  री मुहाळणीं
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1-बिलाठी री मुहाळणीं / मुहारणीं
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अ-आ = आईड़ा-आइडा दो भाइडा [ अ +अ =आ  ]
आ=बडे भाई कानां                  [अ+आ री लगमात ] अ रै आ री लगमात रो कान  लागियो |
इ + ई = इडी - ईडी दो  बेना
     ई =ई बड़ी बेन  चोटियां             [ बड़ी बेन रे चोटी पण छोटी बेन रे चोटी कोनी ]
उ -ऊ =उड़ा -उड़ा दो भाई
उ-उड़ा = उड़ा -ऊड़ा दो छोटा -मोटा ऊँटिया
     ऊ =ऊंटा लदी कतार
ए = एको एकलो
ऐ = एका ऊपर  लाकड़ी
ओ= ओ बैठो ओठियो
औ = दो-दो मात औरणियों


२-  कक्किये री मुहाळणीं / मुहारणीं
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क = कक्कियो कोड़ को / कक्कियो कोड़ रो  / कक्कियो केवालियो / कक्कियो केवड़ो
       [ यानी क किसो ? क कोड़ आल़ो/ कोड़ में  लागे जाको  !  क बो  जाको केवालिये में लागे जाको ! क बो जाको केवड़े में लागे ]
ष= षषा षूणा चीरियो [ राजस्थानी में देवनागरी लिपि आवण सूं पैली " ख " नी हो संस्कृत री भान्त "  ष " धुनी " ख " ही |]
ख = खख्खो खाजूलो [ टाबरां रै खावण री खाजली ]
ग=गग्गा गोरी गाय
घ=घघ्घा घाट पिलाने जाय
ड़- नन्ना खंडो चान्दियो
च= चिड़े चिडी री चूंच
छ =छछिया  पिचिया पोटला
ज =जजजा  जेर बाणियों
झ=झझ्झा झाड की लाकडी
ञ=अंडै बांडो चंद्रमा [  खांडै अंडै जेड़ो ] [ हिंदी में तो 'ञ' खाली है ]
ट=टट्टिया टट्टिया दो  पोड़ी
ठ=ठठिया ठाकर गांठडी
ड= डडडा कूकर पूंछडी
ढ = ढढढा ढेर बाणियों
ण = राणो ताणे तेल /  राणों ताणे तीन लाकडी  [ हिंदी में तो 'ण ' खाली है ]
त=तत्तो  तत्तूतियो कान को
थ = थथ्थियो थावर
द= ददियो दीवटो
ध= धध्धो धाणक छोडयां जाए
न= आगे नन्नो  भाज्यां जाए
प = पप्पा पटकी पाटकी
फ = फफ्फो फालिंगो
ब= बब्बा बेंगण बाड़ी रा / बब्बा बाड़ी बैंगणियाँ
भ = भभ्भा भाभजी भटारको / भभ्भा मूंछ कटारकी
म= मम्मा ले कसारकी
य = यय्या यय्या पाटलो
र = र रा  रो रींकलो
ल = लल्ला लल्ला लापसी
व= वव्वा वैंगण  वासदे
श =शाश्शी सौलंकी
ष= षषषो  खांडको
ह = ह हा  हा हिन्दोली / ह हा हां बोल़ो
: = अड़े तड़े दो बिन्दोली
======

 [] ओम पुरोहित 'कागद'
    24 -दुर्गा कोलोनी
   हनुमानगढ़ संगम - 335512 [ राजस्थान ]
  खूंजे रो खुणखुणियों - 09414380571

पाठ-11 , राजस्थानी आखरमाळा

पाठ-11 , राजस्थानी आखरमाळा
                  [] ओम पुरोहित 'कागद'
 
मुंडै सूं बोलीजै जकी बोली । बोली रो कायदां में बंध्योडो रूप भाषा । बोलीजण आळी भाषा नै जिण ऐनाणां सूं लिखीजै बै आखर बजै । आखरां री लडी नै आखरमाळा कथै । राजस्थानी भाषा में भी एक सबळी आखरमाळा है ।  राजस्थानी आखरमाळा में कुल 50 आखर होवै । आं आखरां रा दोय भेद होवै :-

1-बिलाठी [ स्वर ]
आं रो उच्चरण  सांस रै सागै  सुतंतर... रूप सूं होय सकै |

2-कक्को [ व्यंजन]
कक्कां रो उच्चारण सुतंतर रूप सूं नीं होय सकै ।


1-बिलाठी [ स्वर ]

            बिलाठी रो मुतलब दो / बे लाठी । दोय लीकटी । सरूआत में बिलाठी खडी अर आडी होंवती ।
            राजस्थानी भाषा री आखरमाळा में कुल 12  बिलाठी है :-

            अ  आ  इ  ई  उ  ऊ  ए  ऐ  ओ  औ  [ अं ]  आ: ॐ


2-कक्को- राजस्थानी आखरमाळा में कुल 38 कक्का है :-

क ख ग घ ड
च छ ज झ ञ

ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ़ ब भ म
य र ल  व
श स ष ह
ळ ड़ .ध .व   . [ लीकटी रै माथै अनुस्वार]    :   [विसर्ग ]

खास बात
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[] राजस्थानी में बाद में " श ष अर स" में सूं फ़गत "स " ई काम में लीरीजण लाग गियो बाकी दूजा "श ष" नै       छोड दिया । यानी राजस्थानी भाषा में एक ई " स " होवै ।
[] कक्कियै रो उच्चारण बिलाठी रै भिळण सूं ई होय सकै ।
[] जियां- "आल" रो उच्चारण "आ" रै कारण इज ।
   "आ" नै अळगो करां तो "ल" बंचै अर "ल" में भी"अ" भिळ्योडो होवै ।
    इण "अ" नै भी हटावां तो "म" रो भी उच्चरण नीं होय सकै ।

कक्कियै री भणाई
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राजस्थान में जूनी पोसाळां में "कक्कै" री सांगोपंग भणाई होवंती । कक्कियै री भणाई री निरवाळी रीत ही जकी किणीं दूजी भाषा मे नीं ही  ।हिन्दी तो हाल ताईं ऐडो नीं करवा सकी । आ भणाई संगीत अनै कक्कियै नै भेळ’र कराईजती ही । आ "मुहाळणी" का "मुहारणीं" कथीजतो । जूना मारजा आज सूं 65 बरस पै’ली ताईं पोसाळां में मुहाळणी बोलावंता । मुहाळणी गाईजती अर सगळी भणाई मुखजबानी [ कंठै ] ई हो जावंती । इण भणाई नै "गुणी" कैवंता । गुणी में बिलाठी , कक्को , हिसाब-किताब अर पावडा बोलीजता । मारजा आगै -आगै बोलता अर लारै-लारै भणेसरी बोलता  अनै राग टेरता । इण रीत सूं समूळी भणाई कंठै हो जावंती । सीख देवण आळी बातां अर बोवार में काम आवण वाळी बातां इण मुहाळणीं अर गुणीं में सिखाईजती जकी आखी जूण काम आवंती ।

[]  मुहाळणीं/मुहारणीं=मुंडै सूं बोलीजण आळी।
[]  गुणीं= गुणणीं
[]  भणाई=पढाई
[]  पोसाळ में भणावण री विद = पै’ली मुहाळणीं / मुहारणीं, पछै भणाई अर छेकड में गुणीं

 [] ओम पुरोहित 'कागद'
    24 -दुर्गा कोलोनी
   हनुमानगढ़ संगम - 335512 [ राजस्थान ]
  खूंजे रो खुणखुणियों - 09414380571

पाठ-10,राजस्थानी व्याकरण अर उण रा विभाग

पाठ-10,राजस्थानी व्याकरण अर उण रा विभाग
                      [] ओम पुरोहित "कागद"
 
माणस आपरी बात भाषा रै आंटै ई करै । बो आपरी  मनगत बोल , लिख अर सैन सूं परगट करै अर दूजै री मनगत सुण , पढ अनै देख’र जाणैं ।  मनगत नै परगट करण रो ओ साधन ई भाषा बजै । भाषा रा ऐ तीन रूप बजै-
1-ओळी [ वाक्य ]
2-सबद
3-आखर

... जद कोई आपरी बात कै’वै तो बो "ओळी" में ई कै’वै । जियांं :-
-"बांसवाडो़ भोत सांतरो ज़िलो है ।"
--"म्हैं जीम सूं अर पाणीं पी सूं ।"

ओळी में न्हानीं इकाई "पद" बजै । इणीज पद नै सुतंतर रूप में "सबद " कथीजै यानै ओळी में होयां "पद" अर निरवाळो होयां पद पछै  "सबद" । एक सूं बेस्सी कामल सबदां रै मेळ सूं ओळी बणै । ओळी एक सबद री भी होय सकै । जियां :-
-आ !          -जाओ  !        -खाओ !
-जीमो !       -सुणो !         -नाचो !
-गयो ।          -कद ?         -आज ।
-देखो !          -ल्यो !        -खोल्यो ।
-हां !             -कांईं ?      -पगैलागूं !

एक सबद री ओळी फ़गत बोल-चाल में ई बरतीजै । घणखरी ओळी दो का पछै दो सूं बेस्सी सबदां सूं ई बणै । जियां :-
-बेगो आई !
-ठीक सा !
-भंडाण रा मतीरा भोत मीठा होवै ।
-आबू रै डूंगरां मोर बोलै ।

विराम  आद ऐनाणां सूं भी भाव परगट होवै । जियां :-
 -हां।
-हां !
-हां ?
-अच्छा ।
-अच्छा !

राजस्थानी में खाली सबदां/करम रै साथै किरिया लुक्योडी़ होवै । पछै चावै उण सबद में किरिया सबद होवो ई नीं । जियां :-
-राम-राम ! [ राम-राम सा ]
--पगैलागूं ! [ पगां रै हाथ लगाऊं । ]
-खाऊं । [ खा रै’यो हूं ।]

राजस्थानी में ओळी कई भांत री होवै । ओळी में पूछीजै , अचंबो करीजै ,हुकुम दीरीजै , मनगत कथीजै अर कदै-कदै ई साआ विचार ई परगट करीजै । इण विध ओळी रा पांच भेद बणै :-

1- कायदै आळी ओळी =इण ओळी पेटै बात बताईजै , एक दूजै सूं किणीं बात री हामळ भरवाईजै  का पछै मनां करीजै/बरजीजै । जियां :-
-बोरियो मीठो है ।
-काल आंधी आई ही नीं ?
-म्हारै खनै कुड़तो कोनी ।
-कांदा ना खाया -भलोक !

2-पूछणीं ओळी= इण ओळी सूं पूछीजै । जियां :-
-ओमियों कठै ?
-मतीरो कित्तै रो है ?
-थारो नांव कांईं है बाई ?
-गांव में कित्ता घर है ?

3-भोळावणीं ओळी=इण ओळी पेटै  हुकुम  , राय  अर अरज रो ग्यान होवै । जियां :-
-अभी जाओ !
- अबकै सिरेपंच किण नै बणावां ?
-म्हनै जीमण देवो नीं सा ।

4-मनस्या ओळी = इण ओळी सूं आसीस का पछै दुरासीस दीरीजै । भलो करण - होवण री मनस्या परगट करीजै का ठाह लागै । जियां :-
-हज़ारी उमर होवै थारी !
-पड़ कूए में !
 -बो तो मर ई सी !
-थूं कदै ई सुख नीं पावै ।
-बेईमान रो खैनास होवै ।
-भली करसी भगवान !

5-अचंबो परगटावणीं ओळी=इण ओळी में  इचरज , हरख , दुख अद अचंबै आळा भाव परगटीजै । जियां :-
-अरे ! ओ इत्तो फ़ूटरो !
-कमाल है , भूपेन्दर पास होग्यो !
-मारणों गोधो मरग्यो ।
-बापडां री मा मरगी ।
-ठाट ई आग्या आज तो !

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आखरिकता
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एक समूळी ओळी में कई - कई सबद होवै । एक अरथवाण / कामल  ओळी नै तोड़्यां सबद मिलै । हरेक सबद रा न्यारा-न्यारा अरथ होवै । पण ओळी में भेळा करयां  पद बणै । जियां :-
-"काळा-धोळा मत कर बावळा भाई ।"
एक सबद में कई आखर होवै । आखर टूटै नीं । सबद पण टूटै । सबद नै तोड़’र न्यारा-न्यारा करीज सकै ।सबद नै तोड़ आखर आखर खिंडावण नै ई आखरिकता कथीजै । बानगी देखो :-
घटूलियो = घ+अ+ट+ऊ+ल+इ+य+ओ
हिन्दी अर राजस्थानी में आखरिकता [ आक्षरिकता ] सफ़ा न्यारी-न्यारी है । जियां :-
खख्ड़धज+ खक+खड़+धज ---ऐ तीनूं आखरिक टुकडा़ बोलीजण में आवै । राजस्थानी में जियां बोलीजै बियां ई लिखीजै  अर जियां लिखीजै बियां ई बोलीजै । पण हिन्दी में इयां नीं चालै । दो आखर भेळा आयां आपां  दूजै आखर नै पै’लै आखर रू्प मॆं बोलां । जियां :-
खख=खक--आपां पै’लै "ख" नै "ख" ई अर दूजै "ख" नै "क" बोलां ।
पै’लदो़ अर दूजो आखर अकारान्त है तो दूजै आखर नै अकारान्त नीं राखां ।
जियां :- धज = धज [ छेकड़लै आखर "ज" में "अ" नीं बोलां ]
एक ई वरग रा दो आखर सारै-सारै यानी लगोलग आवै तो राजस्थानी सबद में पै’लडो़ सबद      लुक    [ लुप्त] जावै । जियां :- युद्ध=जुध ,      बुद्ध=बुध    ,      सुद्ध= सुध

महापिराण सूं पै’ली जे अल्पविराम  आळा आखर आवै अर आधो होवै तो उण नै पूरो बोलां -लिखां । जियां :-
महत्व =महत , शब्द=सबद , धर्म=धरम , शर्म= सरम , कर्म =करम , प्रकस = परकास आद

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व्याकरण रा भाग
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व्याकरण रा तीन भाग होवै :-

1-आखर भाग [ वर्ण ]=
इण भाग में आखरां रो विचार्त होवै । आखरां री बणावट ,डोळ ,उच्चरण अनै उणां री भेलप बखाणीजै

2-सबद भाग=
इण भाग में सबदां रा भेद ,सबदां रा बदळाव अर सबद री बणावट आद रो विचार होवै ।

3-ओळी भाघ=
इण भाग में ओळी री बणावट , ओळी में आया थका सबदां रा नाता , ओळी बणावण रा कायदा , ओळ्यां रा भेद अर ओळी रै
छेकड़ में लागण आळा अरथवाण /कामल ऐनाण [ विराम आद चिह ] आद रो विचार होवै ।
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[] ओम पुरोहित "कागद"
24-दुरगा क्लोनी
हनुमानगढ़ संगम-335512
खूंजै रो खुणखुणियों-09414380571

पाठ-9,राजस्थानी में भणाई जरूरी

पाठ-9,राजस्थानी में भणाई जरूरी
                   [] ओम पुरोहित 'कागद'
 
जिण विध अलेखूं छेतरीय बोल्यां-भाषावां नै आपरै भीतर अंवेरती-सांवटती हिन्दी अनै दूजी भाषावां सांवठी अर लूंठी भाषावां है उणीज भांत राजस्थानी भाषा भी आपरी 73 बोल्यां नै आपरै भीतर अंवेरती-सांवटती ऐक लूंठी अनै थिर-सबळी भाषा है ! जिण भांत हिन्दी नांव री कोई निरवाळी भाषा नीं पण कईऐक भारतीय  भाषावां [43  भाषावां-बोल्यां ] ...रै समूह नै भेळ’र हिन्दी भाषा कथीजै ! यानी 43 बोल्यां री नेता बोली है हिन्दी ! इणीज भांत राजस्थानी भी कोई निरवाळी भाषा का बोली नीं  पण आपरी 73 बोल्यां री धिराणीं है ! आपरी 73 बोल्यां री नेता भाषा है ! यानी राजस्थान री सगळी बोल्यां रो ऐकठ नांव है राजस्थानी भाषा ! इण बात सूं कई लोग जाण बूझर’र अळगो मतो राखै , यानी कान्नां में कोवा लेवै । पण बां रो अंतस सांच सूं मुकर नी सकै ! ऐडा़ लोग निरमूळ चिन्ता करै कै मेवाडी़, वागडी़,ढुंढाडी़,हाडो़ती,शेखावाटी,मेवाती आद 73 बोल्यां  में सूं कुणसी है राजस्थानी ? ऐडा़ डोफ़्फ़ा लोग इण सांच नै जाणै कै आं बोल्यां री धिराणी ई राजस्थानी है ! बै लोग इण बात रो उथळो आज तांईं नीं दियो कै जे ऐ बोल्यां राजस्थानी भाषा री बोल्यां नीं है तो भळै किण भाषा री बोल्यां है ? ऐ डोफ़्फ़ा जाण बूझ’र  ईं सांच नै  चित नी चितारै कै जिण भांत लारलै सईकै सूं लेय’र हाल तांईं अवधि, बुन्देली, खडी़ बोली, मैथिली,छत्तीसगढी़,ब्रज, अर राजस्थानी हिन्दी में ऐक बोली रै रूप में भणाइजती ही ठीक उणीज भांत राजस्थानी में भी मेवाडी़, वागडी़,ढुंढाडी़,हाडो़ती,शेखावाटी,मेवाती आद 73 बोल्यां ठरकै साथै राजस्थानी में भणाईजसी ! जद हिन्दी री भणाई में  अवधि, बुन्देली, खडी़ बोली, मैथिली,छत्तीसगढी़,ब्रज, अर राजस्थानी  आद बोल्यां अबखाई नें करी तो राजस्थानी भाषा री घर जाई बेट्यां सरीखी उण री बोल्यां मेवाडी़,  वागडी़, ढुंढाडी़, हाडो़ती, शेखावाटी, मेवाती आद 73 बोल्यां राजस्थान में भणाई अनै राज-काज में कियां अनै क्यूं अबखाई खडी़ करसी ? आ बात कोई नीं तो समझै अर नीं समझावै !
                 राजस्थानी भाषा में 73 बोल्यां है तो इण में अपरोगो कांईं है-आ तो ईण री जगचावी खासीयत है-त्यागत है ! दुनियां री कुणसी भाषा में बोल्यां नीं ?  संविधान री आठवीं अनुसूची में भेळीजी थकी भारत री 22 भाषावां में भी 6 सूं लेय’र 65 तक बोल्यां है । गुजराती-27, तमिल-22 , मरठी-65 , बंगाले- 15, पंजाबी- 29, कोंकणीं- 16, उडि़या-24 , नेपाली-06 , मलयालम-14 , कन्नड़-32 , तेलगु- 36, अंग्रेजी- 57, अर हिन्दी में 43 -  बोल्यां है । पण "ठाडै रो डोको डांग नै पाडै़" जीडी़ ई बात---ऐ सगळी भाषावां ठरकै सूं आठवीं अनुसूची में भी सामल है ,राज्यां री दूजी भाषावां  अनै राजभाषावां भी है ! इण में सूं कई भाषावां री तो खुद री लिपि भी नीं है ! जद आं सगळी भाषावां रै ऐक भाषा होवण में फ़रक नीं तो फ़गत अर फ़गत राजस्थानी भाषा अनै राजस्थान्यां सारू फ़रक क्यूं ? ऐक ई देश में कोई चीज  तय करण रा न्यारा-न्यारा मानदंड क्यूं ?

                 भाषा री एकरूपता री बात अनै चिन्ता सगळी दुनियां री भाषावां में रै’वै ! इण सारू दुनियां रा सगळा देश आप - आपरै अठै भाषा विभाग चलावै जको बगत-बगत माथै नया बदळाव करै अर राज रा फ़रमान काढ’र उणां नै बपरावण री हिदायत देंवता रै’वै ! हिन्दी  भी जकी आज है बा सन 1905 में नीं ही ! हिन्दी में भी लगोलग कई बरसां सूं एकरूपता पैटै बदळाव होय रै’या है ! भाषा विभाग अर गृह विभाग बदळाव अनै एकरूपता सारू परिपत्र जारी करता रै’वै ! जिण भांत 1905  सूं आज तांई हिन्दी री एकरूपता सारू सरकारी स्तर माथै काम होयो उणीज भांत जे सरकार राजस्थानी सारू फ़गत एक ई साल काम कर देवंती तो ओ एकरूपता आळो आंटो अनै टंटो कद रो ई मिट जावंतो ! पण सरकार राजस्थानी रो कदै ई भलो नीं सोच्यो ! चावै सरकार होवै ,चावै ब्यूरोक्रेट अर चावै शिक्षाविद होवै , सगळां ई राजस्थानी नै तो हरमेस मेटण री ई खेचळ करी ! आप राजस्थानी री एकरूपता री बात करो--राजस्थानी तो बापडी़ हरमेस आपरी ज्यान बचावण में लाग्योडी़ ई रै’ई !

                सरकार इत्तो कै’र किन्नो काट्टै कै - " राजस्थानी संविधान की आठवीं अनुसूची में नहीं है इस लिए हम कुछ नहीं कर सकते !’   अब आप हिन्दी रै बिगसाव-पसराव अनै एकरूपता री कहाणी जाणों-14 सितम्बर 1949 नै भारत री संविधान सभा हिन्दी नै राजभाषा बणावण री घोषणा करी करी अर संविधान री धारा 351 में ओ स्पष्ट करियो कै हिन्दी आपरी शब्दावली प्रमुखत: संस्कृत सूं लेसी पण गौणत: दूजी भारतीय भाषावां सूं भी लेयसी । पछै 1955 में रघुवीर जी रो पै’लो हिन्दी शब्दकोश आयो । हिन्दी निदेशालय 1960 में, वैज्ञानिक एवम्पारिभाषिक शब्दावली आयोग 1960 अर  61 में ,राजभाषाई विधाई आयोग 1961 में , राजभाषा अधिनियम 1963 में , राजभाषा नियम 1976 में बण्या । नागरी प्रचारिणी सभा भी 1947 , 1953 , 1957  अर 1962 में हिन्दी री एकरूपता अर मानकीकरण री ज़बरी खेचळ करी । राजस्थान विधानसभा 1956 में राजभाषा अधिनियम बणायो । बस अठै सूं ई राजस्थान में हिन्दी थोंपीजगी ! राजस्थान में 1965 में भाषा विभाग बणायो अर उण रै जिम्मे राजस्थान में हिन्दी रै बिगसाव-पसराव रो काम राख्यो ! राजस्थान रो बजट पै’ली बार 1977  सूं हिन्दी में बणावणो सरू करीज्यो ।

                 राजस्थान रै भाषा विभाग राजस्थान में हिन्दी रै बिगसाव-पसराव रो काम जोरदार ढंग सूं करियो ।  हिन्दी रो जम’र प्रचार करियो । हिन्दी रै पख में पोस्टर छपवाया-बंटवाया-चिपवाया । स्कूलां में हिन्दी भाषण-कविता री प्रतियोगितावां करवाई । सरकारी आदेशां-परिपत्रां रा हिन्दी अनुवाद करवाय । दफ़्तरा-स्कूलां में हिन्दी रा टाईपराइटर बंटवाया । हिन्दी में दस्कत करण-करावण री मुहिम चलाई ।  राज रा विज्ञापन , प्रमाण-पत्र ,नियुक्ति आदेश , पदौन्ति आदेश गजट , वित्तीय स्वीकृत्यां , बैठकां रा कार्यवृत , आवेदन , अर चिट्ठी -पतरी हिन्दी में लाज्मी करीज्या । पै’ली सूं लेय’र अठवीं तांईं री भणाई भी भाषा विभाग ई हिन्दी में सरू करवाई । इत्ती खेचळ रै बाद कठै ई लारला 64 सालां में जाय’र राजस्थानी नै मार’र उण री लास माथै राजस्थान में हिन्दी खडी़ होई । इत्ती खेचळ रै बाद जाय’र हिन्दी रै मानकीकरण अनै एकरूपता रा काम कीं होया पण हाल भोत कीं बाकी है । इण मैणत रो दसवों हिस्सो ई जे राजस्थानी सारू करीज जावै तो पछै देखो थे राजस्थानी भाषा रा ठाट ! राजस्थानी भाषा में मानकीकरण अनै एकरूपता रा मसला तो तुरता-फ़ुरती में जडा़मूळ सूं ई निवड़ जावै ।

[]- 
 [] ओम पुरोहित 'कागद'
    24 -दुर्गा कोलोनी
   हनुमानगढ़ संगम - 335512 [ राजस्थान ]
  खूंजे रो खुणखुणियों - 09414380571