पाठ-11 , राजस्थानी आखरमाळा
[] ओम पुरोहित 'कागद'1-बिलाठी [ स्वर ]
आं रो उच्चरण सांस रै सागै सुतंतर... रूप सूं होय सकै |
2-कक्को [ व्यंजन]
कक्कां रो उच्चारण सुतंतर रूप सूं नीं होय सकै ।
1-बिलाठी [ स्वर ]
बिलाठी रो मुतलब दो / बे लाठी । दोय लीकटी । सरूआत में बिलाठी खडी अर आडी होंवती ।
राजस्थानी भाषा री आखरमाळा में कुल 12 बिलाठी है :-
अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ [ अं ] आ: ॐ
2-कक्को- राजस्थानी आखरमाळा में कुल 38 कक्का है :-
क ख ग घ ड
च छ ज झ ञ
ट ठ ड ढ ण
त थ द ध न
प फ़ ब भ म
य र ल व
श स ष ह
ळ ड़ .ध .व . [ लीकटी रै माथै अनुस्वार] : [विसर्ग ]
खास बात
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[] राजस्थानी में बाद में " श ष अर स" में सूं फ़गत "स " ई काम में लीरीजण लाग गियो बाकी दूजा "श ष" नै छोड दिया । यानी राजस्थानी भाषा में एक ई " स " होवै ।
[] कक्कियै रो उच्चारण बिलाठी रै भिळण सूं ई होय सकै ।
[] जियां- "आल" रो उच्चारण "आ" रै कारण इज ।
"आ" नै अळगो करां तो "ल" बंचै अर "ल" में भी"अ" भिळ्योडो होवै ।
इण "अ" नै भी हटावां तो "म" रो भी उच्चरण नीं होय सकै ।
कक्कियै री भणाई
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राजस्थान में जूनी पोसाळां में "कक्कै" री सांगोपंग भणाई होवंती । कक्कियै री भणाई री निरवाळी रीत ही जकी किणीं दूजी भाषा मे नीं ही ।हिन्दी तो हाल ताईं ऐडो नीं करवा सकी । आ भणाई संगीत अनै कक्कियै नै भेळ’र कराईजती ही । आ "मुहाळणी" का "मुहारणीं" कथीजतो । जूना मारजा आज सूं 65 बरस पै’ली ताईं पोसाळां में मुहाळणी बोलावंता । मुहाळणी गाईजती अर सगळी भणाई मुखजबानी [ कंठै ] ई हो जावंती । इण भणाई नै "गुणी" कैवंता । गुणी में बिलाठी , कक्को , हिसाब-किताब अर पावडा बोलीजता । मारजा आगै -आगै बोलता अर लारै-लारै भणेसरी बोलता अनै राग टेरता । इण रीत सूं समूळी भणाई कंठै हो जावंती । सीख देवण आळी बातां अर बोवार में काम आवण वाळी बातां इण मुहाळणीं अर गुणीं में सिखाईजती जकी आखी जूण काम आवंती ।
[] मुहाळणीं/मुहारणीं=मुंडै सूं बोलीजण आळी।
[] गुणीं= गुणणीं
[] भणाई=पढाई
[] पोसाळ में भणावण री विद = पै’ली मुहाळणीं / मुहारणीं, पछै भणाई अर छेकड में गुणीं
[] ओम पुरोहित 'कागद'
24 -दुर्गा कोलोनी
हनुमानगढ़ संगम - 335512 [ राजस्थान ]
खूंजे रो खुणखुणियों - 09414380571
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