पाठ-7 ,राजस्थानी भाषा अर साहित्य परापर
[] ओम पुरोहित 'कागद'"
[ १] राजस्थानी भाषा अर साहित्य भाषा-
-सन ११०० रै नैडै़-तेडै राजस्थानी रो उदभव
... [क] सन १४५० तांई गुजराती अर राजस्थानी ऐक इज ही ।
-ईं काळ तांई दोनां रो साहित्य ऐक है
[ख] हिन्दी रै " आदि काल" री काव्य भाषा है
-राजस्थानी अर राजस्थानी सूं प्रभावित हिन्दी
-राजस्थानी साहित्य हिन्दी रै आदिकाल रो साहित्य
-राजस्थानी रो प्रभाव अर व्यापकता-
कबीर,जायसी आदि री भाषा
दखणी हिन्दी, पहाडी़ हिन्दी अर नेपाली भाषावां
[२] राजस्थानी साहित्य री निजि अथवा जातीय विशेषतावां-
[१] चारण साहित्य-
-ऐतिहासिक अर वीर रसात्मक
-सेस भारतीय आर्य भाषावां में न्यारो ई महत्व
- गीत,दूहा,छप्पय,नीस
- मध्यकाल रै राजनैतिक, सांस्कृतिक इतिहास रो अटूट भंडार
-राष्ट्र-संकट अर ओ साहित्य
[३] पौराणिक अर धार्मिक-
भगवान रा दो रूप घणां उजागर हुया-
-वीर अर भक्त उद्धार्क
-परस्थिति’र स्वभाविकता-रामरासौ
[३] जैन साहित्य-
-कथा काव्य
-लोकगीतां री ढाल
- परम्परा
- भाषा रै इतिहास री सामग्री
-सैंकडूं अजैन ग्रंथां रो रख-रखाव अर लेखण
[४] सन्त काव्य
-देस री भावनात्मक ऐकता अर आत्मौथान रो अनोखो प्रयास
-निर्गुण,सगुण,अर सगुणोन्मुख निर्गुण
-नाथ पंथ-राजस्थान अर हरियाणो इण रो गढ
-गुणवत्ता अर परिमाण में बेजोड़
-बोली सुधार
[क] बै जका एक जीवण पद्धति रै रूप में सम्प्रदाय री थरपणा करी अर बांरा मानण आळा-
[१] अग्रदास{रैवास,सीकर}- रामभक्ति में मधुर उपासना
[२] जाम्भो जी -विष्णोई सम्प्रदाय
[३] जसनाथ जी -जसनाथी सम्प्रदाय
[४] परशुरामदेव जी -निम्बार्क सम्प्रदाय
[५] हरिदास जे -निरंजनी सम्प्रदाय
[६] दादूदयाल जी -दादू पंथ
[७] लालदास जी -लाल पंथ अथवा लालदासी सम्प्रदाय
[८] चरण दास जी -शुक अथवा चरणदासी सम्प्रदाय
[९] रामचरण जी -रामस्नेही सम्प्रदाय[शाहपुरा]
[१०] दरियावजी
[११] हरिरामदास जी - रामस्नेही सम्प्रदाय [सींथळ]
[१२] रामदास्जी
[१३] जी जी देवी -आई पंथ [बिलाडा़]
[१४] लालगिरि
[ख] बै संत जका सम्प्रदाय परम्परा सूं अळगा हा- पीपा जी,काजी महमूद,मीरां बाई दीनदरवेश आद
[५] आख्यान काव्य-
विसेसतावां-
मध्यकाल में सगळा सूं घणी हिन्दू समाज री सांस्कृतिक सेवा आख्यान काव्यां करी आं रो चलण- राजस्थानी री इज देण है-
[१] डेल्हजी -कथा अहमनी
[२] पदम भगत -रुक्मणी मंगळ
[३] मेहोजी -रामायण
[४] केसोजी -प्रहलाद चरित आद
[६] लोक काव्य -
प्रेम गाथावां - स्त्री-पुरुष री प्रेम भावनावां रो अमर संगीत- भावनावां रो दरियाव-
[१] ढोला-मारू
[२] जेठवा-ऊजळी
[३] शेणी-वीजानंद
[४] नागजी-नागम्ती
करूणा रो बोलतो चितराम-
[१] नरसी मेहता रो मायरो
वीरता,प्रेम रो अमर भाव-
[१] निहालदे-सुल्तान
[२] बगडा़वत
वीरता अर वचन-पालण रो अनोखो सुर-
[१] पाबूजी रा पवाडा़
[२] तेजोजी
लोक-गीत-धरती री धुन-
[१] इतिहास री दीठ , बातां अर लोककथावां
[७] गद्य-
भारतीय भाषावां में नुईं औळखाण- तेरवीं सई सूं आज तांईं री परम्परा-बात,ख्यात,बिगत,कथा आद
[८] १९ वीं सई - पळटाव अर बदळाव-
-राष्ट्रीयता रो सुर
-चेतावणी अर संदेश
- नुवां विचारां रा वैतालिक
१-बांकीदास
२- सूर्यमल मीसण
३-संकरदान सामोर-एक दीठ-हिन्दी अर राजस्थानी रा भूल्या बिसरया पात्र
अर कीं पछै- बारहट केसरीसींह रा चेतावणी रा चूंगट्या
[९] आज़ादी-अर ईं रै पछै-साहित्य-
[१०] भाषा री समृद्धि-
-ईं री सबद सम्पदा
-सबद अर अर्थ छाया
[११] संक्षेप-
१- भाषा री देण
२- साहित्य री देण
- कर्मठता अर कर्मशीलता
-वीरता, त्याग,बलिदान अर देस सेवा
-भेदभाव पर चोट
-धरती अर जीवण सूं जुडे़डो़
-उद्दात भावना रो स्रोत
-जागरण अर चेतावणी रो हेलो
-गुणां रो पैरैदार
३-इतिहास नै देण
४-संस्कृति नै देण
५-देस-निर्माण री नींव
[] ओम पुरोहित 'कागद'
24 -दुर्गा कोलोनी
हनुमानगढ़ संगम - 335512 [ राजस्थान ]
खूंजे रो खुणखुणियों - 09414380571
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