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मंगलवार, 22 नवंबर 2011

पाठ-10,राजस्थानी व्याकरण अर उण रा विभाग

पाठ-10,राजस्थानी व्याकरण अर उण रा विभाग
                      [] ओम पुरोहित "कागद"
 
माणस आपरी बात भाषा रै आंटै ई करै । बो आपरी  मनगत बोल , लिख अर सैन सूं परगट करै अर दूजै री मनगत सुण , पढ अनै देख’र जाणैं ।  मनगत नै परगट करण रो ओ साधन ई भाषा बजै । भाषा रा ऐ तीन रूप बजै-
1-ओळी [ वाक्य ]
2-सबद
3-आखर

... जद कोई आपरी बात कै’वै तो बो "ओळी" में ई कै’वै । जियांं :-
-"बांसवाडो़ भोत सांतरो ज़िलो है ।"
--"म्हैं जीम सूं अर पाणीं पी सूं ।"

ओळी में न्हानीं इकाई "पद" बजै । इणीज पद नै सुतंतर रूप में "सबद " कथीजै यानै ओळी में होयां "पद" अर निरवाळो होयां पद पछै  "सबद" । एक सूं बेस्सी कामल सबदां रै मेळ सूं ओळी बणै । ओळी एक सबद री भी होय सकै । जियां :-
-आ !          -जाओ  !        -खाओ !
-जीमो !       -सुणो !         -नाचो !
-गयो ।          -कद ?         -आज ।
-देखो !          -ल्यो !        -खोल्यो ।
-हां !             -कांईं ?      -पगैलागूं !

एक सबद री ओळी फ़गत बोल-चाल में ई बरतीजै । घणखरी ओळी दो का पछै दो सूं बेस्सी सबदां सूं ई बणै । जियां :-
-बेगो आई !
-ठीक सा !
-भंडाण रा मतीरा भोत मीठा होवै ।
-आबू रै डूंगरां मोर बोलै ।

विराम  आद ऐनाणां सूं भी भाव परगट होवै । जियां :-
 -हां।
-हां !
-हां ?
-अच्छा ।
-अच्छा !

राजस्थानी में खाली सबदां/करम रै साथै किरिया लुक्योडी़ होवै । पछै चावै उण सबद में किरिया सबद होवो ई नीं । जियां :-
-राम-राम ! [ राम-राम सा ]
--पगैलागूं ! [ पगां रै हाथ लगाऊं । ]
-खाऊं । [ खा रै’यो हूं ।]

राजस्थानी में ओळी कई भांत री होवै । ओळी में पूछीजै , अचंबो करीजै ,हुकुम दीरीजै , मनगत कथीजै अर कदै-कदै ई साआ विचार ई परगट करीजै । इण विध ओळी रा पांच भेद बणै :-

1- कायदै आळी ओळी =इण ओळी पेटै बात बताईजै , एक दूजै सूं किणीं बात री हामळ भरवाईजै  का पछै मनां करीजै/बरजीजै । जियां :-
-बोरियो मीठो है ।
-काल आंधी आई ही नीं ?
-म्हारै खनै कुड़तो कोनी ।
-कांदा ना खाया -भलोक !

2-पूछणीं ओळी= इण ओळी सूं पूछीजै । जियां :-
-ओमियों कठै ?
-मतीरो कित्तै रो है ?
-थारो नांव कांईं है बाई ?
-गांव में कित्ता घर है ?

3-भोळावणीं ओळी=इण ओळी पेटै  हुकुम  , राय  अर अरज रो ग्यान होवै । जियां :-
-अभी जाओ !
- अबकै सिरेपंच किण नै बणावां ?
-म्हनै जीमण देवो नीं सा ।

4-मनस्या ओळी = इण ओळी सूं आसीस का पछै दुरासीस दीरीजै । भलो करण - होवण री मनस्या परगट करीजै का ठाह लागै । जियां :-
-हज़ारी उमर होवै थारी !
-पड़ कूए में !
 -बो तो मर ई सी !
-थूं कदै ई सुख नीं पावै ।
-बेईमान रो खैनास होवै ।
-भली करसी भगवान !

5-अचंबो परगटावणीं ओळी=इण ओळी में  इचरज , हरख , दुख अद अचंबै आळा भाव परगटीजै । जियां :-
-अरे ! ओ इत्तो फ़ूटरो !
-कमाल है , भूपेन्दर पास होग्यो !
-मारणों गोधो मरग्यो ।
-बापडां री मा मरगी ।
-ठाट ई आग्या आज तो !

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आखरिकता
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एक समूळी ओळी में कई - कई सबद होवै । एक अरथवाण / कामल  ओळी नै तोड़्यां सबद मिलै । हरेक सबद रा न्यारा-न्यारा अरथ होवै । पण ओळी में भेळा करयां  पद बणै । जियां :-
-"काळा-धोळा मत कर बावळा भाई ।"
एक सबद में कई आखर होवै । आखर टूटै नीं । सबद पण टूटै । सबद नै तोड़’र न्यारा-न्यारा करीज सकै ।सबद नै तोड़ आखर आखर खिंडावण नै ई आखरिकता कथीजै । बानगी देखो :-
घटूलियो = घ+अ+ट+ऊ+ल+इ+य+ओ
हिन्दी अर राजस्थानी में आखरिकता [ आक्षरिकता ] सफ़ा न्यारी-न्यारी है । जियां :-
खख्ड़धज+ खक+खड़+धज ---ऐ तीनूं आखरिक टुकडा़ बोलीजण में आवै । राजस्थानी में जियां बोलीजै बियां ई लिखीजै  अर जियां लिखीजै बियां ई बोलीजै । पण हिन्दी में इयां नीं चालै । दो आखर भेळा आयां आपां  दूजै आखर नै पै’लै आखर रू्प मॆं बोलां । जियां :-
खख=खक--आपां पै’लै "ख" नै "ख" ई अर दूजै "ख" नै "क" बोलां ।
पै’लदो़ अर दूजो आखर अकारान्त है तो दूजै आखर नै अकारान्त नीं राखां ।
जियां :- धज = धज [ छेकड़लै आखर "ज" में "अ" नीं बोलां ]
एक ई वरग रा दो आखर सारै-सारै यानी लगोलग आवै तो राजस्थानी सबद में पै’लडो़ सबद      लुक    [ लुप्त] जावै । जियां :- युद्ध=जुध ,      बुद्ध=बुध    ,      सुद्ध= सुध

महापिराण सूं पै’ली जे अल्पविराम  आळा आखर आवै अर आधो होवै तो उण नै पूरो बोलां -लिखां । जियां :-
महत्व =महत , शब्द=सबद , धर्म=धरम , शर्म= सरम , कर्म =करम , प्रकस = परकास आद

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व्याकरण रा भाग
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व्याकरण रा तीन भाग होवै :-

1-आखर भाग [ वर्ण ]=
इण भाग में आखरां रो विचार्त होवै । आखरां री बणावट ,डोळ ,उच्चरण अनै उणां री भेलप बखाणीजै

2-सबद भाग=
इण भाग में सबदां रा भेद ,सबदां रा बदळाव अर सबद री बणावट आद रो विचार होवै ।

3-ओळी भाघ=
इण भाग में ओळी री बणावट , ओळी में आया थका सबदां रा नाता , ओळी बणावण रा कायदा , ओळ्यां रा भेद अर ओळी रै
छेकड़ में लागण आळा अरथवाण /कामल ऐनाण [ विराम आद चिह ] आद रो विचार होवै ।
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[] ओम पुरोहित "कागद"
24-दुरगा क्लोनी
हनुमानगढ़ संगम-335512
खूंजै रो खुणखुणियों-09414380571

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